________________ . स्त्रीचरित्र. मू-विकर्मणां तप्यमानः पापाद्विपरि मुच्यते। न तत्कुर्या पुनरिति द्वितीयात्परि - मुच्यते // 1 // पापान्यबुद्गहे पुराकृतानि -प्रारधर्मशीलो विहन्ति पश्चात् // धर्मोरा जन्नुदते पुरुषाणां यत्कुर्वते पापमिहप्रमा - दात् // 2 // - अर्थ-भूलसे पाप होजानेपर जो मनुष्य पीछेसे मनमें सन्ताप करे तो वह कियाहुआ पाप दूर होजाताहै अब मैं पाप नहीं करूंगा ऐसा निश्चय करनेवाला फिर दूसरे पापसे मुक्त होजाताहै, और पाप नहीं करताहै // 1 // मार्कण्डेयजी राजा युधिष्ठिरसे कहते है हे रा. जन् , धार्मिक मनुष्य अज्ञानसे जो हिंसा आदि पाप कर्मकरता है, उस पापको वह पश्चात्ताप करके नाश करता है, और जो पाप प्रमादसे किया जाता है, वह पाप उस मनुष्यका धर्म नष्ट करता है // 2 // मू-यज्ञो दानं तपो वेदाः सत्यं च द्विज P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Gun Aaladnak