________________ कर्मसे निवृत्त होकर श्रीकृष्णचन्द्र आनन्दकन्दके चर णारविन्दमें मलिन्द (भ्रमर) की तरह लग जाता हैं. - और मोक्ष पदको प्राप्त होते हैं देखो ! कवियोंके मुकुटमणि कालिदासजीनेभी “शकुंतला नाटक' आदि अनेक ग्रन्थ बनाये हैं परंतु वे सब संस्कृतमें है और वर्तमानकालमें संस्कृतके विद्वान् बहुत कम हैं, और भाषाके ज्ञाता दिनप्रति ज्यादा होते जाते हैं, यह विचारकर मैंने बंगा लीलाल परमानन्द सुहानेसे सरल हिन्दी भाषामें रचवाय कर यह ग्रन्थ शुद्ध करवाय उत्तम कागजपर टाइपके अक्षरोंमें छपवाया है. की. 3 आ. ट. 1 आ. आत्मपुराण. स्वामी श्रीचिद्धनानंदजीकृत हिं भाषाटीका सह अतिउत्तम कागजपर बड़े टाईपकी छपीहुई तैयार है कीमत रु. 1580 1 रु.० 10 आ० _ हरिप्रसाद भगीरथजीकापुस्तकालय--कालकादेवीरोड़ रामवाड़ी-मुम्बई. .....P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak T