________________ 48 स्त्रीचरित्र... हावेगा. यह सुन वह ब्राम्हण वोला, हे शोभने, में तुझपर बहुत प्रसन्न हुवा, तेरा कल्याण हो. मैं अपना कार्य साधन करनेको तेरे कथनानुसार जाताहूं, यह कह मिथिलापुरीको धर्मव्याधके पास अपने घर होकर वह ब्राह्मण गया, वहां कसाई मंडीमें धर्मव्याधको मांस वेचते देखकर एकान्तमें खडा होगया, तब धर्मव्याध ब्राम्हण अभ्यागत समझ शीघ्र उसके पास आया, और बोला, आप ब्राम्हण हो मेरा प्रणाम स्वीकार कीजिये, आपका कल्याण हो, जो आज्ञा हो वह मैं करनेको आपके सन्मुख उपस्थित हो, आपको पतिव्रता स्त्रीने यहां मेरे समीप भेजा है, सो वृत्तान्त में जानता हूं. यह सुनकर वह ब्राह्मण जैसे उस स्त्रीके वचनको सुः नकर विस्मित हुवाथा वैसेही धर्मव्याधके वचनको सुन कर विस्मय युक्त होगया, और उस. व्याधकोभी पतिव्रता स्त्रीके समान त्रिकालदर्शी जाना. व्याधने कहा, हे. ब्राम्हणदेवता ? यह स्थान आपके रहने योग्य नहीं है, कृपा करके आप मेरे घरपर चलिये, ब्राह्मणने कहा, P.P.Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust