________________ स्त्रीचरित्र समीप बैठा वेद पाठ करता था, उसी वृक्षके ऊपर एक बगुली छिपके बैठी थी, उसने ब्राम्हणके ऊपर बीउका दी तब उस ब्राम्हणने महाकोषदृष्टिसे उस पक्षीको ओर देखा, तो वह बगुली प्राण रहित होकर वृक्षपरसे गिरपडी उस बगुलीको अचेत पडीहुई देखक ब्राम्हणने बहुत शोक किया कि, मैंने क्रोधके वश होकर यह अयोग्य काम करडाला, अनन्तर - वह विद्वान् ब्राह्मण वहांसे उठकर भिक्षाके निमित्त गांवमें गया. वहां कई एक पवित्र गृहस्थियोंके द्वारपर भ्रमण करते करते एक गृहस्थके द्वारपर गया, जिस घर पहलेभी कभी भिक्षा मिलीथी, वहां जाकर भिक्षाको याचना की. भीतरसे एक स्त्रीने उसको उत्तर दिया, हे ब्राह्मण ! खडे रहो, अनन्तर वह स्त्री पात्रोका शुद्ध करने लगी, इतनेहीमें उस स्त्रीका पति क्षुधास पीडित अकस्मात् बाहरसे आया, तब वह पतिव्रता स्त्री अपने पतिको देखकर पतिसेवामें लगगई उस ब्राह्मणको भिक्षा देना भूलगई, वह स्त्री अपने पति P.P. Ac. Gunratnasuri M.S Gun Aaradhak Thust'.