________________ स्त्रीचरित्रः - दोख पडते हैं, ये सब जैसे माननीय हैं. वैसेही पक पतिवाली स्त्रियांभी माननीय हैं. हे महामुनि, आप हमसे पतिव्रता स्त्रियोंका माहात्म्य वर्णन कीजिये देखो पतिव्रता स्त्री अपने मन और इन्द्रियोंको रोककर पतिको देवताके समान मानकर ध्यान करती हैं हमको यह उनका कर्म बहुत कठिन जानपडता है, मनुष्यको माता पिताकी सेवा और स्त्रियोंको पतिकी सेवा करना उचित है, पतिव्रता स्त्री एक पतिकीही स्त्री होकर रहती है सत्य बोलती है, दश महीने तक अपनी कुक्षिमें गर्भ धारण करती है, फिर प्रसूतिके समयमें बडे प्राण संशयका तथा अतुल वेदनाको प्राप्त होती है. हे द्विजवर, अनन्तर बड़े कष्टसे पुत्रोंको उत्पन्नकर बडे स्नेहसे पालन करती है. यह सुनकर मार्कण्डेयमुनि बोले, हे राजन् , तुम्हारे इन प्रश्नोका उत्तर मैं कहता हूं, सावधान होकर सुना कोई मनुष्य माताको मानता है, कोई पिताको अधिक मानता है, परन्तु दोनोंको एक समानही मानना उचित हैं, क्योंकि जिसप्रकार माता बडे कष्टसे पुत्रको पालती ak P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.