________________ स्त्रीचरित्र.. चालक पन माहिं पिता पूँछि कीजै कोउ काज / स्वामी पूंछ कीजै काम किंचित्त विवाह पाछै स्वामी न होय पुत्र पूछि सब साजै साज // पुत्रहू न होय पति पक्ष पूछि कीजै पति पक्ष न होय पितु पूछि राखे लाज। दोउ पक्ष रहित कदापि कोऊ काज होय सम्मति सदैव हित पूंछिपामाधीशराज // 1 // भावार्थ यह कि स्त्रीको स्वतंत्र होना कभी नहीं चाहिये तुलसीदासजीने रामायण में लिखा है कि चौपाई. महादृष्टि भइ फूटिकियारी। जिमि स्वतंत्र हुइ विगरै नारी॥: :: विना पढी हुई स्त्री मुर्खताके कारण स्वतंत्रतासे रहना उचित समझती है, स्त्रीको सर्वदा पराधीन रहना शास्त्रमें लिखा है, जैसा कि पूर्व कवित्तमें लिखा है, ... .. PAC. GunratnasuriM.S.... Jun Gun Aaradhak Trust