________________ स्त्रीचरित्र, सखी ! तुमने मेरेलिये बड़ा कष्ट पाया, इसका पलटा मैं तुम्है कभी नहीं दे सकती, चित्ररेखा बोली सखी! संसारमें सबसे बढकर सुख यही है कि जो दूसरेको सुख दीजै यह शरीर किसी कामका नहीं है इससे किसीका काम होसकै तो यही परम लाभ है इसमें 1) स्वार्थ परमार्थ दोनों होते हैं। लीलावती. लीलावतीको कोई भास्कराचार्यजीकी स्त्री कहते हैं कोई भास्कराचार्यजीकी गुरुपुत्री बतलाते हैं, लीलावती परमगुणवती थी, जिसके नामसे लीलावती नामक गणितग्रंथ ज्योतिषशास्त्रमें परमविख्यात है. .. मालती.. मालतीनेभी पाठशालामें रहकर अनेक विद्याओंमें विचारपूर्वक अभ्यास किया था मालतीके विद्यावती और गुणवती होनेका वृत्तांत मालती माधव नामक नाटकमें लिखा है. Jun-Gun Aaradhak Trust DuTPSuri