________________ 20 . - स्त्रीचरित्र. समझा राज्यको छोडकर बनमें रहना अनुचित है भागवतमें लिखा है, कि जिससमय राजा प्रियव्रत राज्यको छोडकर वनको चलेगये थे उस समय ब्रम्हाजीने उपदेश किया कि मनसहित चक्षुरादिक इन्द्रिय अपने शत्रु हैं तिनके जीतनेकी इच्छा करनेवाला पहले गृहस्थ आश्रममें रहकर जीतै, यही उपाय जीतनेका अच्छा है जिस प्रकार किलेका बैठनेवाला राजा अपने शत्रुको कि जिसकी सेना बाहर खडी है, जीत लेता है क्योंकि किलेवालेकी तोपका गोला शत्रुके मनुष्योपर पड़ता है और शत्रुका प्रकार उसके किलेकी सफीलमें लगता है इस रीतिसे जब बाहर वाला निर्बल होजाता है तब किले- वाला जहां चाहै वहां फिर सकता है और जो मूर्ख राजा किलेमें रहनेपरभी हारजाता है, सो मैदानको लडाई कैसे -जीतसकता है, सो तुमभी वैसेहीहो क्योंकि जिन इन्द्रिय रूपी शत्रुओंके भयसे गृहस्थीरूपी किलेको छोडकर - बनमें आये हो, तो तुमारे पीछे यहांभी लगेहुये हैं और जो उनको जीतलेवै तब घर और बन एकही है,गृहस्थीक' AC.GunratnasuriN