________________ 225 भाषाटीकासहित. तक जीवित हैं, इसमें सन्देह नहीं कि महाराणीका नाम इस भारतवर्षमें सर्वदा अमर रहेगा... महाराणीके स्वभावकी सरलता और उत्तमताका वर्णन जहां तक किया जाय, थोडाहै... . महाराणी अपने राजभवनके चारों ओर रहनेवाले दीन दुःखियोंकी सेवा सुश्रुषा स्वयं किया करती थीं.... - प्रायः प्रातःकाल निकलके झोपडोंमें घूमकर दीन दुःखियोंकी सुधिले आवश्यक वस्तुओंसे उनकी सहायता करतीं, और यह कहीं नहीं प्रगट करतीं कि हम इङ्गलैण्डकी महाराणी हैं, कई अवसरोंपर महाराणीको स्वयं उस समय तक रहना पडा, जब तक मृत प्रायः स्त्रीपुरुषकी आत्मा इस अनित्य शरीरको छोड सुरधामको न सिधार गई. सारांश यह है कि महाराणी अपनी प्रजासे सदा अति स्नेह रखती थी, और उनके दुःखसुखमें अपनी वास्तविक सहानुभूति प्रकट करती थी,महाराणीसा सजन,सरल और मृदु स्वभाव राजगणोंमेंसे विरलेही किसीके भाग्यमें होगा, - - - - P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust