________________ भाषाटोकासहित वलोचनको दीवान नियत किया, उसने थोडेही कालमें | प्रबन्ध करके सब ऋण चुकादिया. आज उस राज्यको / इतनी आमदनी है कि किसी देशके राजा नबाबको इतनी आमदनी न होगी. / राणी स्वर्णमयीके पुरुषार्थके सुन्दर काम देखकर सरकारने 10 अप्रैल सन् 1872 विक्रमीय संवत् 1929 में उसको महाराणीकी पदवी प्रदान की, और यहभी | कहा कि जिसको आप गोद लेंगी, वह माहाराज कहा जायगा, जनवरी सन् 1878 ईसवी विक्रमीय संवत् 1835 में भारतवर्षकी मुकुटपदवीसे विभूषित करनेके कमिश्नरने कासिमबाजारमें दरबार करके राजराजेश्वरीका | आज्ञापत्र और तकमा महाराणी स्वर्णमयीको दिया, और खडे होकर सभाके सामने महाराणीको प्रशंसा की... महाराणी स्वर्णमयीके पुण्यार्थ कामोंकी प्रशंसा जितनी कुछ की जाय थोडी है महाराणीने यह नवीन P.P: Ac. Gunratnasuri M.S. Sun Gun Aaradhak Trust