________________ 184 स्त्रीचरित्र... गुजारा; ये नाम प्रसिद्ध है दक्षिण देशमें इन रागोंकी वडी प्रशंसा है, आश्चर्य नहीं कि महारानी मृगनयनी को प्रशंसा सुनकर गानविद्याके परमाचार्य तानसेनजी गवालियरमें आये हो, वही अब उसकी समाधि वनी हुई है, गानविद्याही एक मोहनी मंत्र है, इस विद्याकी प्रतिष्टा इस देशमें बहुत कुछ थी, परंतु मुसलमानाकी देखा देखी अब इस देशवालेमी गान विद्याको नीच मानने लगे है, आज कल राजा सुरेन्द्रलाल कलकत्ता नीवासीने गानविद्याके उद्धार निमित्त बहुत यत्न किया है, कई पुस्तक उन्होंने इस विषयमें लिखकर वंगला भाषामें प्रसिद्ध किये है, और एक पाठशाला भी इस विद्याकी वृद्धिके निमित्तं स्थापित कीहै, इति / . - अब आगे राजकुमारीका संक्षिप्त वृत्तांत लिखते है. - राजकुमारीराजवाडमें राजधानी रूपनगरकी राजकुमारी जो राजकुमारी होके नामसे प्रसिद्ध थी, उसके प्रसिद्ध होनेका यह कारण था कि, वह अत्यन्त रूपवती थी, P.P.Ac. Gunratnasuri M.S. , Jun Gun Aaradhak Trust