________________ स्त्रीचरित्रकभी भूलनेका है ? हर्गिज नहीं, अगर मेरी यह हर्कत इसी तरह जारी रहती, और यह खबर बहादुर गज पूतोंके कान तक पहुंचीती, जरूर था कि हमारी सल्तनत पर जावाल आता आहा ! उस जनोवधारोकी हर्गाहमें किस जुवासे शुक्रया अदा करूं ? उसकी वेहद शफकतका किस मुहसे क्या करूं ? आहा ! कैसे मुसीवतके वक्तमें इस नाचीजकी पैदा यश हुई, ओफ ! उस संगदिल चचाकी सक्खि क्या कभी भूल सकती है, उस वक्त खुदाय पाकने कैसी मुश्किलात आसान की ! फिर से यह तरन्त तो ताज वखशा खान वावाकी वगावत जिस वक्त याद आती है, दिल कांप उठता है, मगर वाह रे मुश्किलाकुशा अपने इस बच्चाकी वात उस वक्त कैसी रक्खी ? अहा हा ! हिन्दु मुसल्मानोंके रिश्तेदारीकी बुनियाद कैसी उमदा डाली गई हैं, अगर इसमें पूरे तोर पर का मयावी हुई तो खान्दान तैमरिया कभी हिन्दोस्तानसे नहीं हट सकता मगर वाह रे भगवान दास, तेरे बराब .P.P.AC.Gunratnasuri M.S: Gun Aaradhak Trust -