________________ . भाषाटीकासहित. 179 तेरे वखशिशो करमका है एक भरोसा मुझे तोबा ताबा // - इस प्रकार अकबर क्षमा प्राथां कर चुका तब वीर नारो अपने घरको चली गई, अकबर एक कमरामें एकांत | वैठकर सोच विचार करने लगा. हाय ! मैं इतने दिनों तक किसतारीकी में था, इतनी उम्र किस गुनह गारीमें विताई, इलाही इस अपने वन्दे पर करम कर. अब इस दिले वेचैनको सब अदाकर... खुदा या “एवज न कर मेरे जुर्मों वेहदका। इलाही तुझको गुफूरुल रहीम कहते हैं / कही कहें न उदू देखकर मुझे मुहताज। यह उनके वंदे हैं जिनको करीम कहते हैं / _आहा ! दर हकीकत उसके बराबर कौन करीम है, अपने वन्देको गुमराह देखकर आज इस पाकदामन औरतके जरियेसे कैसी नसीहत दी उफ वलाकी तेजी ग,जवको दिलेरी कैसा खुदाई नूर था ? क्या यह वाकिआ P.P.AC.Gunratnasuri M.S.... Jun Gun Aaralihak Trust