________________ / 169 - भाषाटीकासहित. बाजारमें छोड रक्खा था कि जो कोई सुन्दरी बाजारमें आवै, उसमें से जो आसकै हमारे पास लाया करो इस प्रकार अनेक सुन्दरियों के लती त्वको अकबरने भंग करदिया, धीरे धीरे अकवरके इस दुश्चरित्रकी खबर सबको पहुंचगई परंतु किसीकी क्या मजाल थी जो कुछ कह सकता, एक दिन पृथिवी राजकी रानी अकवरको शिक्षा देनेकी इच्छासे मीना बाजारमें पहुंची, अकबर जो चिककी ओटसे बाजारमें आई हुई स्त्रीको / देख लेता था, पृथ्वीराजकी स्त्रीको बाजारमें आया दे! खकर उसके मनोहर रूप पर मोहित होगया और वि चार करने लगा कि यह सुन्दरी आज हाथ आवै तो / अहो भाग्य है, इतनेमें एक वृद्धा स्त्री उस रानीके पास आकर बातचीत करने लगी. वृद्धा-बेटी, तुम किसी वडे घरानेकी जान पडती - हो, यदि तुमको बाजारकी सेर करना है तो आओ हम तुमको सैर करा दें, क्योंकि यह बाजार बहुत वडा है, तुम नाहक भटकती फिरोगी..' Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust 02