________________ भाषाटीकासहित.. 155 वीराज पाच सौ चुने हुये ज्वान लेकर अफगानों पर चढ गये, जब वे सब चौकमें ताजिया निकाल रहे थे, उसी समय पृथिवीराज एक वीरको संग लिये अस्त्रशस्त्रकसे शीघ्रतापूर्वक चले उनको जाते देख ताराबाईभी अपने स्वामीके साथ पुरुष वेषसे चली, पृथिवीराजने अपनी सेनाको बाहर छोड दिया और आप ताराबाई व वीरसमेत ताजियोंकी भीडमें घुसकर अफगान सर- दारके महलके नीचे तक पहुंचे, सरदारने जैसेही इन तीनोंको देखा तो वहांसे उतरकर किसीसे पूछने लगा कि ये तीनों परदेशी सिपाही कहांसे आये हैं ? यह कहनेही पाया था कि पृथिवीराजके भाले और ताराबाईके वाणने उसको वहीं गिरा दिया, फिर वह न उठा, सरदाके मारे जानेकी खबरभी लोगोंमें न फैकाने पाई थी कि वे तीनों बातकी बातमें नगरके फाटक पर पहुंच गये, वहां एह हाथी मार्ग रोके गडा था, उसको ताराभाइन अपनी प्रचण्ड खगके प्रहारसे भगा दिया. सो इस प्रकार कि ताराबाईने बल करके अपना खड्ग घुमा AC.GunratnasuriM.S un Aaradhak Trust