________________ M | गताने महाराज पृथिवीराजसे कहा, स्वामिन् ! शीघ्र उ ठिये, अब भोगविलासका समय नहीं रहा, आप क्षत्री / हैं अस्त्र शस्त्र संभालकर संग्रामकी तैयारी कीजिये, यदि संग्राममें आप शरीर त्यागभी देंगे तो मैं आपके संग / स्वर्ग चलूंगी, आप क्षत्रिय धर्मको भलीभाँति जानते हैं, यह सुन महाराज पृथिवीराजने युद्धकी तैयारी की, परंतु शोककी बात यह थी कि, कन्नौजके संग्राममें - पृथिवीराजके बडे बडे सुभट समाप्त हो चुके थे, इस का- रण महाराजने अपने सब मेली राजाओंको बुलाकर सभा की, उसमें यह सम्मति ठहरी कि केगर नदीके तट - पर जहां यवनोंकी सेना उतरी है, वही चलकर यवनोंका पराक्रम देखें. यह सम्मति होकर महाराज पृथिवीराज संयोगतासे मिलने गये, महा प्रीतिके कारण दोनोंको बोलनेका सामर्थ्य न रही, रानी महाराजको इकटक देखती ही रह गई, प्यारीके हाथले सुवर्णके कटोरेमेंसे कुछ जलपान करके सनामें डंकेका शब्द सुनकर महाराज चल दिये, घोर P.P..AC.Gunratnasuri M.S.. Jan Gun Aaradhak Trust