________________ स्त्रीचरित्र. दोहा. निजजनके हित करन हित, देहु सुबुद्धि दयाल। जड सुधरै फूलै फलैं, सब विध होय निहाल // 6 // मंत्री समेत जयचंद चले गये, जयचन्दके सेनापति रावणने तीन लाख सेनासे चन्दके डेरेको घेर लिया यह सुनकर महाराज पृथ्वीराज, कविचन्द, कन्ह, लङ्गरीराय आदिकोंने सचेत होकर युद्ध करनेका प्रवन्ध किया और युद्ध प्रारंभ हुआ केहर कंठीर और आतताईका घोर सुग्राम हुआ. राग सिंदूरा. युद्ध अवनि वीर ठवनि, धावत बलशाली। कं कर धर कृपाण फं फं फेरत सुजान चंचल चपला समान चमक है निराली / गं गं गहि लेत बान खं खं खेंचत कमान दं दं दं देत तान लागत जनु व्या P.P. AC: Gunratnasuri M.S. . .. Jun Gun Aaradhak Trust ,