________________ भाषाटीकासहित. . पृथ्वीराजने मनमें विचार किया कि हथेलीमें रख| कर सेवकोंकी भान्ति पान देना ठीक नहीं यह सोच दाताओंकी तरह पांच अंगुलियोंसे पकडकर पान देना चाहा, जयचन्द लेनेमें हिच कि चाहे. - तब चन्दने कहा- .. तुलसीयं विप्र हस्तेषु विभूति वरयोगिनाम् / ताम्बूलं चंदरागेषु त्रयोदान सुआदरम् // 5 // Saptai D . short - पान देते समय पृथ्वीराजने एक झटका मारा जिससे जयचन्द गिरते गिरते सम्हल सके, अनन्तर मंत्रीको पान दिया, तब जयचन्दने अपने मनमें विचार किया कि अब इसके पृथ्वीराज होनेमें कुछ सन्देह नहीं रहा जातेही अपनी सेना भेजकर इसके डेरेको अभी घेरे लेताहूं, यह सोच जयचन्द मंत्री समेत उठ खडे हुये, चन्दनेभी खडे होकर आशीवार्दात्मक वचन कहा. ... 9 .AC.Gunratnasuri M.S... Gun Gun Aaradhak Trust