________________ 113 स्त्रीचरित्र. मूतन्महीपतनया तिमनोज्ञा पद्मिनीतिविदिता भुवि नाम्ना // पद्मपत्र ल. लितातनु यष्टिः पूर्णचन्द्र मुखकान्ति ललामा // 7 // याऽनङ्ग खेल न महाकुच कुम्कुमाढ्या बरापैक लंबित कपोल मुखप्रभासा // रत्नप्रभैक विधि निर्मित हारजाल शोभाढ्य रोज बिदिता मदनोद्भवाङ्गी // 8 // सा पद्मिनी पद्मदलायताक्षी कृशोदरी पद्मकरेव बाला॥ मनोहरन्ती मिषता कटाक्ष शरैविभिन्न हृदयं लुठन्ती // 9 // - अर्थ-तथा उन महाराज जयचन्द्रजीकी आति मनोहरा कन्या पृथिवीमें विदित पद्मिनी नामा,कमलपत्रके समान अंगवाली, सुन्दर स्वरूपवाली, पूर्णचन्द्रमाके समान मुखकी कान्ति जिसकी // 7 // जो कामदेवक क्रीडा योग्य गेंदरूपी कुच कुस्कुम तिन करके युक्त था, Jun Gun Aaradhak Trust ..P.P.AC.Gunratnasuri M.S..