________________ स्त्रीचरित्र. तब वह लडका कहने लगा कि, जो पुरुष जिस स्त्रीकेसाथ रमण करता है, उसीकी चिंता उसको सर्वदा रहती है, जैसे-- "उर्वशीसुरतचिन्तया ययौ संक्षयं किल पुरूरवा नृपः // रक्षणाय निजजीवितस्य तत्संभजेत्परवधूं न कामतः" // अर्थः-राजा पुरूरवा उर्वशी अप्सराके साथ निरंतर रमण करनेकी चिंतासे क्षयी होगया, अत एव सजन अ. पने जीवन की रक्षाके निमित्त पराई स्त्रीके साथ रमण करनेकी इच्छाभी नहीं करते // परस्त्रीगमन करनेसे बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है. सेठानी बोली, जगत्में प्रेम अद्भुत पदार्थ है. मैं बहुत प्रेमके साथ तुमको बचन दे. तीह, कि कभी किसी प्रकारका क्लेश तुमको नहीं होने दूंगी, और अपने स्वामीसे अधिक तनमनसे तुम्हारी सेवा करूंगी, क्योंकि मेरी तुम्हारी अवस्था भी एकही है. ईश्वरने संयोग अच्छा बनाया है. P.P.AC.Gunratnasuri M.S.... Jun Gun Aaradhak Trust