________________ . स्त्रीचरित्र' भुजाबल तोरे / क्यों न करौ भवफन्द अफन्द, अहौं फरफन्द विषैरस बोरे // दास चहै पदपंकज वास, करै नित आस रहै कर जोरे।मातु जप सरना तव नाम, वसै नित मूरति सो मन मोरे॥७॥ राधिकाछन्द / हे जननिसकल दुखहरणि, शरणि मैं तेरी / जनजानिद्रवहु महराणि, करहु जनि देरी॥ जगदम्ब अम्ब अवलम्ब, एकही तेरो। रिपुत्रास नाशकार, दास हृदय कर डेरो॥८॥ दोहा-श्रीगुरु चरण मनाय अरु, मातुसर स्वति ध्याय // स्त्रीचरित्र वर्णन करत, नारायण मनलाय // 9 // प. जाहि जे -नारिनर, अरु समझें धरिध्यान। कुटनिनके छलसोबचें, होवें चतुर सुजान // 10 // 6. P.P.AC..Gunratnasuri M.S.