________________ स्त्रीचरित्र. हितजीके बेटे हो और सेठानीजीको तुह्माग पर्दाभी नहीं है, इससे तुमको भेजते हैं. यह मुनकर वह पुरोहितका लडका सेठजीके मकानपर जा पुकारा. सेठानीजी उसी समय आये हुये अपने यारको साथ भोगविलास कर रही थीं. उस यारको छिपाकर द्वारके किंवाड जाय खोले / पुरोहितका लडका भीतर आया और सेठानीजीसे कहने लगा कि, आज दूकानका वहीखाता जो कल रातको सेठजी लाये थे वह घरपर भूलगये हैं, सो हमारे हाथ मंगाया है, जल्दी देदो. सेठानीजीने पूछा कि तुम कौन हो और कहाँ रहतेहो वह लडका बोला कि सेठानीजी! क्या आप हमको भूलगई हो, मैं आपके पुरोंहितका लडका हूं छोटेपर अपने पिताके साथ तुमारे घर आया करता था, फिर मैं अपने ननिहालको चला. गया अब दशवर्ष पीछे लौटकर आया हूं. उस समय मेरी अवस्था दश वर्षकी थी. अब मैं वीसवर्षका हूं. यह सुनकर सेठानी अपने सब यारोंके मूलगई और उस लडकेपर मोहित होकर बोली, कि पहले जब तुम हमारे Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC. Gunratnasuri-M.S.