________________ स्त्रीचरित्र. यही दशा होती है, जैसी कि मोहनीकी हुई. मोहनी जब तब यह शायरी पढाकरतीथी. जो नीचे लिखते हैंदोहा-सदा न फूलै तोरई,सदान सावन होय। सदा न यौवन धिररहै,सदान जीवैकोय॥१॥ गह यौवन थिर नारहै,दिनदिनछीजत जात। चारदिनाकी चांदनी, फेर अंधेरी रात // 2 // हायदई कैसी भई, अनचाहतको संग। दीपकको भावै नहीं, जरि जरि मरै पतंग॥३॥ होनहार होकर रहै, मिट न विधिके अंक / राई घटैन तिलबढे, रहर जीव निशंक॥४॥शैरऐफलक तुझको सदारंग बदलते देखा। अपनीकिस्मतके नविस्तेको नटलते देखा॥५॥ तथाशिकवान यारसे न शिकायत रकीबसे / जो कुछ हुआ शुदासे हुआ या नसीबसे // 6 // un-Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri.M.S.