________________ ___उपोद्धात. दुश्चरित्र लिखे हैं, और उत्तरार्द्धमें एक सुन्दरी नामक स्त्रीका सच्चरित्र लिखकर एक होलिकानिर्णय” नामक प्रहसन लिखा है / इसप्रकार प्रथम भागकी समाप्ती हुई है. द्वितीय भागमें भी पूर्वाद्ध और उत्तरार्द्ध नामक दोखंड होंगे. पूर्वार्द्ध में कुछ पतिव्रताओंके संक्षिप्त चरित्र और उत्तरार्द्धमें भरतखंडकी विख्यात वीर महारानियोंके चरित्र यथार्थ रीतिसे लिखेंगे / क्योंकि इस पुस्तकका जैसा नाम है वैसाही गुण इसमें होना चाहिये. इससे पृथक् स्त्रियोंके धर्म और स्त्रियोंको अनेक प्रकारकी शिक्षा प्राप्त होनेके निमित्त 'स्त्रीसुखबोधिनी' नामक पुस्तक लिखकर प्रकाशित की जायगी और कन्याओं की शिक्षाके निमित्त 'कन्यासुबोधिनी' नामक पुस्तक लिखेंगे। अब इस (स्त्री चरित्र नामक ) पुस्तकका प्रारंभ करते हैं. तहाँ प्रथम एक व्याख्यान लिखते हैं. इस व्याख्यानके प्रभावका कुछभी अंश यदि पाठकोंके चित्तपर अंकित हो जायगा तो बहुत ही उपकार होगा. P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust