________________ उपोद्घात. कईवर्षों से हमारा विचार था कि, कोई ऐसी पुस्तक / (अपनी लेखनीसे लिवकर प्रकाशित करें जो स्त्रियोंको हितकारी हो. परन्तु सावकाश न होनेके कारण हम नहीं (लिखसके / हालमें मुम्बईनगरस्थ श्रीयुत पण्डित हरि प्रसाद भगीरथजीके प्राचीन पुस्तकालयाध्यक्षकी ओरसे एक आज्ञापत्र आया कि, आप स्त्रियोंके चरित्रकी एक // पुस्तक लिखकर भेजिय, तब उस आज्ञापत्रको पढकर , - हम बहुत प्रसन्न हुए / क्योंकि हमारा चित्त पहलेहीसे / ऐसी पुस्तक लिखनेके लिये उत्कण्ठित होरहाथा, इम- / कारण पत्र पढ़तेही विचारमें पडे कि, किस ढमे, - यह पुस्तक लिखना प्रारम्भ किया जाय विचार करते mutanesenter P.P.AC, Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust