________________ स्त्रीचरित्र. रुचि हो तो वीर रानियोंके चरित्र लिखकर छपादीजी येगा, कि जिससे स्त्रियोंका चित्त पढकर प्रसन्न होगा. हमने कहा कि, अवश्य हम इस पुस्तकके द्वितीयभागमें लिखेंगे. परन्तु आप आपना कुछ समाचार तो अवश्य बताइये. तब साध्वीने अपना नाम लक्ष्मीबाई बतलाया और अपना समाचार बहुत संक्षेप रीतिसे सुनाया. जिसको हम नीचे लिखते हैं. लक्ष्मीबाईका संक्षिप्त जीवन चरित्र। मैं जिला कानपुरमें श्रीगंगाजीके तट एक गांवकी रहनेवाली हूँ. और कान्यकुब्ज ब्राह्मणोंमें प्रसिद्ध महस्कुलीन छंगके शुक्लकी कन्या हूँ. मेरे पिताका नाम शिव नारायण था. मैं अपने पिताकी एकमात्र कन्या होने के कारण बहुत दुलारी थी. बडे लाडचावसे मैं रहाकरतीथी मेरे पिता बहुत अच्छे पंडित थे. इस कारण मुझको भी पढाने लगे मेरी बुद्धि बहुत तीव्र थी नौ वर्षकी अवस्थामें 'सुखसागर' पढनेकी मुझको पूर्ण सामर्थ्य होगई. और 'चाणक्यनीति' के श्लोकभी पढने लगगई. तब पि: P.AC.Gunratmasan Suit Aaruhan Trus