________________ . भाषाटीकासहित. 23 नहिं संग। नारायण निज बुद्धिसे, समुझि करौ सत्संग // 38 // और स्त्रियोंको योग्य है कि, अपने धर्मके अनुसार वर्ताव करें और विद्या पढकर ज्ञान प्राप्त करें. स्त्रियोंके ध. म कर्म हम 'स्त्रीसुखबोधिनी' नामक पुस्तकमें लिखेंगे.. और कन्याओंको भलीभाँति शिक्षा प्राप्त होनेके निमित्त. 'कन्या सुबोधिनी' नामक पुस्तक हम लिखेंगे.. * अब हम आगे व्यभिचारिणियोंके चरित्र लिखते हैं.. इन चरित्रों को पढकर शीलवती स्त्रियोंको योग्य है कि ऐसी व्यभिचारिणीयों के कुसंगसे अपनेको बचाये रहे और पुरुषोंको योग्य है कि, इन चरित्रोंको पढ़कर व्यभिचारि-- णियोंके दुश्चरित्रोंसे अपनी रक्षा करते रहैं, तथा अपनी और कुलकी स्त्रियोंको ऐसी व्यभिचारिणियोंकी संगतिसे सर्वदा बचाये हैं. ____ अब हम व्याख्यान समाप्त करके व्यभिचारिणियोंके चरित्र लिखेंगे. तहाँ प्रथम एक साध्वी स्त्रीके सत्संगका वृत्तांत लिखते हैं. एक दिन हम अपने पुस्तकालयमें बैठेहुये उपरोक्त व्याख्यान लिखरहे थे इतनेमें एक स्त्री सा P.P.AC..GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust