________________ स्त्रीचरित्र वनवनमें भटकत फिरें, अन्त प्राण दै खोय॥ 19 // नारीनार गंभीर जल, इनकी थाह नहोय। जो जाके मनमें वसे, जानिसकै नहिं कोय॥ 20 ॥धर्म धीर जवहीं तलक, जबतक लखै ननार / नारिनैनके लगतही, साहस देत विसार // 21 // जाके तन लागे नहीं, नारिदृगनके बान / तबहीतक वह बनिरह्यो, पंडितचतुर सुजान // 22 // जबतक तन लागे नहीं, चतुर नारि गतीर // तवहीं तक जानै नहीं, विरही मनकी पीर // 23 // नारि नैनकी मारते. बचे न कोऊ वीर। बडे बडे योधागिरे, लगतनारि हगती॥२४॥ गोरोतनशशिसमयघर,नवलवयसि वोबाला दृगखंजनअंजनभरे,तिनपरडोरालाल॥२६॥ कुचकुमकुममें लसतअति,कामकलिक पुंज। मृगमदके लवलेशते, भँवर करत बहु गुज P.P.AC..GunratnasureM.S. Jun Gun Aaradhak Trust