________________ . स्त्रीचरित्रइन दोनों दोहोंको सुनकर रायप्रवीनके अभिप्राय. को समझकर शाह सुजानने उस वेश्याको यथायोग्य पारितोषिक देकर विदा किया. उस दिनसे फिर कभी किसी वेश्याका नाम तक नहीं लिआ.. ___एक वासुदेव नामका कामीजन अपनी स्त्रीके वशमें -होकर सुसरालमें जाय रहा, वहां अपना अनादर देखकर - वासुदेवने कहावत बनाई कि, पहले तो हम वासुदेव थे अब हम हो गये बसुआ। पीठी ऊपर पांव धरके ऊपर चढ गइ ससुआ। औरोंको तो बूरा पूरी हमको दीन्हें सतुआ।जल्दी जारे वसुआ मेरेबी निलाउर महुआ // 13 // . - कुटिलास्त्रियोंकी भांति बहु तेरे दुष्ट मनुष्य स्त्रियोंपर . - छोटीही अवस्थासे कटाक्ष करने लगते हैं. यथायथास्यात् कुचयोःसमुन्नतिस्तथा तथा लोचनमेति वक्रताम्॥ अहो सहन्ते बत नो परोदयं निसर्गतोन्तर्मलिनाह्यसाधवः।।१४॥ PP.AC. Gunratnasuri M.S... Jun Gun Aaradhak Trust