________________ भाषाटीकासहित. 189 / हिसाब लिखते जाया करें: जब कहें तब ईमानरे हाँठके लिये जरासा तिनका मुँहमें दबाये रक्खें. महाराज ! | होली भांडोकी महारे बुजुर्ग इसीकी बदौलत इस घरनसे दोलक भराय भराय रुपया ले गये- सदा होरी हमारी भई. बाजी बाजी होरीमें सौ सौ रुपया तोला भांड बिना भांड होरी सूनी. 'रंडीको देय भडुआ कहाय,, भाडको देय सीधा वैकुंठ लेजाय ' गाने बजानेमें हम रंडीयोंको. मात करें हमारी नकलोंमें बड़े बड़े गुन लडके सुनै जवान हो जाय जवान सुनै खरादपर चढ जायं. बुढे सुनै पूरे सन्त होजाय, हिन्दुओंमें सेठमहाजन, बनियें, वकाल, लाला कायथ, ब्राह्मण, ठाकुर सब जानते हैं. इनके सिवाय अहेल इसलाम भारसाहेब, - खां साहब, शेखसाहब, मौलवीसाहब, मुफ्तीसाहब, काजी साहब, नवाबसाहबसे बन्द कमीशन भेजकर दरियाफ्त कर लीजिये. होली भांडोकी. हम भांड तो खुदाके - आसरे मजबूत बैठे हैं. हमारा त्यौहार कौन छीन सकता हैं. कायथोंको छोडेंगे. बनियोंके घर जा घुसँगे. .P.P.AC.Gunratnasuri:M.S. .. Jun" Gun Aaradhak TA