________________ 278 स्त्रीचरित्र. महाराजने पृथक् 2 उन सबका कथन सुननेके लिये अज्ञादी. सुनतेही राजकर्मचारियोंने प्रबन्ध किया. तहां . पहले सात जातिके पुर्वियोंका झुंड आया, उसमेंसे / - एकने अपना कथन प्रारंभ किया कि, महाराज! _कवीर। अरररररर लोगौ सुनहु कबीर // -बूढे बाबा देवर लागै लड़िका लागें यार // सबैमिहरियां सरहज लागें लूटौअजबबहार। भला जय बोलो होरी मैयाकी // 1 // हमार देश क्यार चालि अस चली आवति हैं कि, होरीमें कछु विचार नाहिन रहतु आपहू जा बातको जानत आई, कि-होरी, धमार, राग, रंग अबीर, गुलाब, कबीर, गारी, इनकी फाईमा बहार रहतिरही. मुद्दा आजुताई किसहूं ने विचार नायं कीनो पै आजु आपु इमहि बुलाय कस पछत आई... P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust