________________ 174 . स्त्रीचरित्र. बढी भक्तिसे संगति जोरीपनिहारीके साथ। मला कोउ सुनि है ससुरा का करिहै // 10 // इन बातनमें लाज कहां है सदा जुगतव्यौहार जहां कचौरी पुरी महकै कूदिरै सरुवार // भला यह सारा खेल रुपैयाको // 11 // सभाकमेटीसुरस लपेटी लेक्चरललितललाम।कथा सकल सुरधाम सिधारी ज्यों उठि कियोसलाम॥भला यह देश भलाई दुर्घटहै // 12 // सुन्दर चालचलौ तुम निशिदिन करहु विप्रसन्मान॥धर्म कर्ममें चित्त लगावौत्यागि देहु अभिमान // भला नहि अन्त नतीजा पा. वांगो // 13 // कई कल्पसे हम देखत हैं अस नहिं भयोसपूत अबके विप्र नचावत कसबी बडे धर्म मजबूत॥भला यह सोहत तीरथवासिनको // 14 // P:P. Ac: Gunratnasuri M.S. Jun. Gun Aaradhak Trust