________________ 14. स्त्रीचरित्र. - अतः स्त्रियोंको विद्या अवश्य पढना चाहिये. विद्या के प्रभावसे ज्ञान उत्पन्न होनेके कारण स्त्रियोंका स्वभाव उत्तम होजाता है, और अपना पातिव्रत धर्म जानकर सर्वदा सुखी रहसकती हैं, क्योंकि पतिव्रताका धर्मही स्त्रियों के लिये सर्वस्व है. कोकिलानां स्वरो रूपं स्त्रीणांरूपं पतिव्रतम् विद्यारूपं कुरूपाणांक्षमा रूपं तपस्विनाम्७ - अर्थ-कोकिलाओंकी शोभा स्वर, स्त्रियोंकी शोभा 'पातिव्रत, कुरूपोंकी शोभा विद्या और तपस्वियोंकी शोआ क्षमा है // 7 // बाहुवीर्य बलं राज्ञो ब्राह्मणो ब्रह्मविदली। रूपयौवनमाधुर्यं स्त्रीणां बलमनुत्तमम्॥८।। - अर्थ-राजाका बल बाहुवीर्य है, और ब्राह्मण ब्रह्मज्ञानी, व वेदपाठी बली होता है, स्त्रियोंकी सुन्दरता, तरुणता और मधुरता अति उत्तम बल है / / 8 // साभार्यायाशुचिर्दक्षा साभार्यायापतिव्रता / साभार्यायापतिप्रीतासाभार्यासत्यवादिनी९ jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S: :