________________ भाषाटीकासहित... 117 ठीकहै, परंतु इस काममें स्त्रियोंसे बढकर पुरुष नहीं हैं, * इसी कारण हमने इस पुस्तकको तैयार कियाहै. महदेईने कहा, कोई चरित्र इसमेंका मुझकोभी सुनाइये, सुननेसे मैंभी आपकी चतुराईको जानूंगी. यह बात मुनकर / पंडितजी वह पुस्तक खोलकर सुनाने लगे. दोचार स्त्रि. योंके चरित्र सुनकर महदेईने अपने मनमें विचार किया, कि इस पंडितको कुछ चरित्र अवश्य दिखलाना चाहिये. . हमारे यारके आनेका समयभी आचुकाहै कुछ लोभ देकर इस पंडितको अपना कर्तब दिखाना चाहिये. ऐसे सोच समझ पाँच रुपये निकासकर पंडितजीके हातमें देके बोली, कि आप जानते हैं, हमारा पति विदेशमें रहा करता है और हम घरपर अकेली रहा करती हैं, जब आपका चित्त चाहा करै तब आप दर्शन दे जायाकरें, और इस घरको आप अपनाही घर समझें इतनी बात सुनतेही पंडितजी का मन हराभरा होगया. सोचा कि इससे बढकर और क्या चाहिये. सूने मन्दिरमें एक कान्ता रमण करनेको मिली और पांच रुपयेभी मिले. यहां किसी पुरुषकाभी P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.. Jun Gun Aaradhak Trust