________________ ... स्त्रीचरित्रः आपेसे बाहर हो गये, लँगोटीका सच्चा कोईभी पुरुष जटातमें मुझको नहीं जान पड़ता, आपही लोगोंने लिखा है कि, 'नसोऽस्ति पुरुषोलोके योन कामयतेश्रियम् परस्य युवती रम्यां सादरं नक्षतेत्र कः // 1 // लोक (संसार) में वह कौन पुरुष है जो लक्ष्मीकी कामना नहीं करता, और ऐसा कौन पुरुष है जो पराई स्त्रीको रमण करनेकी इच्छा नहीं करता // 1 // तुलसीदासजीनेभी कहा है कि, दो०-तुलसी या जगआयके, कौनभयोसमरत्थ॥इक कंचन अरु कुचनपै, किन न पसारेहत्थ // 2 // इसी प्रकार अनेक दृष्टान्त में ऐसे सुनासकतीहूं जा तुह्मारी इस पुस्तकसे कहीं बढकर एक पुस्तक बनसकती है. पुरुषोंकी तो यह गति है तो बतलाइये कि, पुरुषसे आठगुणा कामवाली स्त्रीका क्या दोषहै. यह सुनकर पंडितजी बोले, कि सेठानी तुझारा यह कहना बहुत P.P.AC.Gunratnasuri M.S: Gun Aaradhak Trus