________________ &ll कोई उपायसे ले लेनी चाहिये, तबही मेरी इष्ट सिकि सिक हो सकती है; अतः कुमारको मार 6 डालनेका कोइ प्रयोग करना चाहिये, यह सुन उन चार मित्रोंमेंसे एक दुष्ट मौन कर रहा, शेष तीन इस प्रकार मीठे खट्टे शब्दोंसे बोलने लगेः-हे सेठजी! जिस किसीका भी धन हरण तथा है स्त्री हरण महा दोष है इसलिये सत्पुरुषोंको यह उचित नहीं और उपकारियोंका तो विशेष अ. नुचित है, यह निःसंदेह बात है कि इसका फल भयंकर होगा, यह महापुरुष धर्मी-परोपकारी त्यागी-दाता-भाग्यवान् आदि प्रशस्त गुणोंसे शोभित है, इससे वेष रखने पर समुद्र पार होना भी कठिन हो जाय गा, इसके पुण्यको तुमारा पुण्य कभी नहीं लग सकता, आज इस प्रकाभरके अनिष्ट कथनसे तुमारे साथ हमारा स्वामी सेवक भाव गया-तूं दुष्ट-पापिष्ट है, तेरा मुख || देखनेसे पाप लगता है, अहा! श्रीपालजीका उपकार आज ही भूल गया? अरे! तेरी स्तम्जित | जहाजे चलाई, महाकालसे छुडाया, रत्नहीपमें मरणान्तसे बचाया क्या ये सब उपकार तू * शीघ्र हीनूल गया-हे सेठ! तुं दुष्ट सर्पके समान है " पयःपानं जुजंगाना, केवलं विषवर्धनं " ASHIRISHISHIGA IMAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aacadha