________________ PRASARSATIOAADRISANSISTORY धवलकी धृष्टता और उसका जयङ्कर फल. (तीसरा-विवाह) HAIR-CHIRGANA सरल-शान्त स्वभाववाले कुंवरने वृद्ध पुरुष समझ कर धवल सेठको अपनी जहाजमें बैठाया और दूसरोंको अन्य जहाजोंमें दाखिल किये, इस समय प्रस्थानकी मंगल-जेरी बजने लगी, तमाम जहाजें पवन वेगके समान चलने लगीं, कुमार जहाजोंमें गमन करता हुवा इस प्रकार शोभता था मानो देवेन्द्र विमानमें चल रहा हो-श्रीपालजीको इस तरह लीला युत समृद्धि तथा देवाङ्गनाके समान स्त्रीरत्न घ्यको देखकर चलचित्त धवल हृदयमें जल गया; (स्वगत) अहा! यह एकाकी मेरे साथ आया था और किस उच्च दशामें पहुँच गया, हाय ! IPI मेरा आधा धन भी गया क्या करूं? इत्यादि रात दिन चिन्ता करता हुवा महा लोभी-कृतघ्नी AASAREENALS REGA ASTER SHAcGunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradh