________________ ECORAGARCASSAGAGAR ___ तब राजा श्रीपाल सहित अपने स्थान पर पहुँचा और विवाह-सामग्री तैयार कर बड़े हैं। महोत्सवसे सादी की करमोचनके समय हाथी-घोड़े-माणक-मोती-दास-दासी वगेरा प्रदान किये; कुमारकी भारी प्रतिष्टा हुई, राजाके दिये हुवे एक सुन्दर महलमें अपनी स्त्रीसह आ नन्द पूर्वक रहने लगे, नित्य प्रजु पूजा करके और मुनियोंको दान देकर अपनी लक्ष्मी सफल.. 2 करते हैं, इस प्रकार चैत्र मास आन पहुँचा कि श्रीपालजीने विस्तार पूर्वक नौपदके तपकी आ राधना की-एक वख्त कुमारके साथ राजा जिन मन्दिरमें विस्तारसे पूजा कर रहा था कि इस समय कोटवालने आकर कहा-हे प्रभो! जहाजोंके अन्दर महादुष्ट-पापिष्ट एक पुरुषने कर | भंगरूपी आज्ञा भंग किया है; अतः मैं उसको पकड़ कर यहां पर ले आया हूँ, उसके लिये क्या है। आज्ञा है ? राजाने हुकम किया कि आज्ञा भंग वालेका प्राण हणना चाहिये, यह सुन तुरन्त / | ही कृपालु श्रीपालजीने कहा-हे राजन् ! प्रजु मंदिरमें प्राण हरणकी आज्ञा न करना चाहिये / ESCENGERSAREERA Cal Ac, Gunratnasurit Jun Gun Aaradhak CAब