________________ प्रस्ताव तीसरा. दारम // 44 // MI ( मोक्षपद ) को देनेवाला है ' श्रीपालः कुमारवत् ' इसही लिये सब कार्योंमें इस महापदका | 15 स्मरण करना चाहिये, यह सुनकर राजा बोला-हे प्रभो! वह श्रीपाल कुमार कौन ? महात्माने | / उत्तर दिया तेरे समीपमें बैठा हुवा वही यह श्रीपाल कुमार हैं, नृपति शीघ्रतर बोला हे प्रभा! || | कृपाकर इनका सम्पूर्ण चरित्र फरमाईये गा, गुरु महाराजने जन्मसे लेकर जिन मन्दिरके किंवाड 5. | खोले तहांतककी समस्त जीवनी कह सुनाई, अब आगे नाना राजाओंकी कन्याओंसे विवाह होगा, पिताका राज्य प्राप्त होगा, धर्मकी अनेकशः महिमा करके अन्ते नवमे स्वर्गमें प्राप्त होगा, | वहांसे चवकर फिर मनुष्य होगा; इस तरह इस भवसे नौमे भव मोक्ष पहुँचेगा, यहांपर चार, | देव भव और पांच मनुष्य भव समझना चाहिये; इस प्रकार कथन कर मुनिवर्य पुनः गगन मार्गमें चले गये.. SUSISIRISHISHIG // 44 // Ac. Guinratnasuri M.S. Sun Gun Aaradha न