________________ प्रस्ताव श्रीपालपरिच. तीसरा. // 43 // STARLIGHIRRATIGRICAAT . हे लोकालोकको देखनेमें समर्थ-केवलज्ञानको धारण करनेवाले-हे भव्यात्मारूपी कम* लोंको विकस्वर करनेमें सूर्य समान! आपको पुनः 2 नमस्कार हो. // 3 // हे चारों तर्फ फैलते हुवे मोहरूपी अंधकारको नाश करनेमें विख्यात सर्व नीतियें प्रकाश | करनेमें प्रसिझ-हे. प्रभा! आपको वारंवार नमस्कार हो. // 4 // . . . . हे सर्व कल्याणके कर्ता-क्लेशके निवारक-भक्तिवन्त लोकोके संतापको नाश करनेवालेहे विभो! आपको अनेकशः नमस्कार हो. // 5 // ___इत्यादि प्रस्तुति करके श्रीपाल कुमार विरमित हुवे और कन्या सहित राजा वगेरा | सब लोग सुनकर आनन्दित हुवे, अब कुमार प्रभु मन्दिरके बहार आये और राजाको सादर नमस्कार कर उनके समीपमें बैठ गये, इस समय राजाने कुमारको पूछाः-हे महाभाग! तुमारा कुल क्या है ? नाम क्या है तथा तुमारा चरित्र क्या है ? यह सुन कुंवर विचारने लगे कि अ. SEGIRRESIRASINCA // 4 // Gunnatasun MS Jun Gun Aaradh