________________ ALATAIATARRAGAICHISHTARISTES राजा भी शीघ्र आया और साश्चर्य कुमारके कर्त्तव्य को देखकर आनन्दित हुवा-श्रीपाल कुमार | इस वख्त प्रभुकी स्तुति इस प्रकार करने लगेः जय त्वं जगदानंद / जय त्वं जगदीश्वर // जय त्वं त्रिजगबंधो / जय त्वं त्रिजगत्पभो // 1 // जय त्वं त्रिजगन्नेत्र / जय त्वं त्रिजगत्पते // जय स्वं त्रिजगन्नाथ / जय त्वं नामिनंदन // 2 // नमस्ते केवलालोक-लोकालोकविलोकिने // नमस्ते भुवनादित्य / भव्यांभोजविकाशिने // 3 // . नमस्ते सर्वतः सर्प-मोहध्वान्तविनाशिने // नमस्ते विश्वविख्यात सर्वनीतिप्रकाशिने // 4 // नमस्ते सर्वकल्याण-कारिणे क्लेशवारिणे // नमस्ते भक्तिमल्लोक-भवसंतापहारिणे // 5 // ... . भावर्थः-हे जगत्को आनन्द देनेवाले-जगत्के इश्वर-विश्वबंधो-हे जगत्प्रभो! तुम इमेशां जयवन्ता वतों // 1 // ... .. हे तीन जगत्के नेत्र समान-तीनजगत्के स्वामिन्-तीन जगत्के नाथ-हे नाभिनरेन्द्रके नदन! तुम निरन्तर जयवन्ता वता // 2 // .... : ... ... .. XIAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhalise .. - II