________________ प्रस्ताव श्रीपाल चरित्र. . // 41 // तीसरा. MOGLOSAKKOSHISHIRISHIRINI . भावार्थः—जिस महा पुरुषके दृष्टिपातसे जिन मन्दिरके दोनो कपाट खुल जाय वही राज- || कन्याका भर्तार होगा, अहो लोगों! इस विध तुम देववाणीसे जानो-यह श्रवण कर सब लोग बहुत प्रसन्न हुवे और परस्पर बातें करने लगे कि यह काम कितनी मुदतमें होगा, इतनेमें पुनः आकाशवाणी हुई: (श्लोक) आदिदेवस्य चेटी हि / नाम्ना चक्रेश्वरी सुरी // मासस्याभ्यन्तरे चास्या / आनयिष्याम्यहं वरम् // 3 // . . भावार्थः-आदिश्वर भगवानकी दासी चक्रेश्वरी नामकी मैं देवी हूँ, अहों लोगों! इस क. न्याका वर एक महिनेके अन्दर में ले आउंगी. इस प्रकार प्रातःकाल होते ही राजा अपना ध्यान पूरा करके परिवार सहित उठा, चारों ओर जेरी-भंगलादि मंगल वाजिंत्र बजने लगे, अपने राजमहलपर जाकर घर देरासरमें जिने. RESSURSESEISLUSASOSLUSAS Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradha