________________ प्रस्ताव श्रीपालचरित्र EARSA%AAKAAREAKING ____ तब श्रीपालकुमार कवचको धारण कर शस्त्रसज्जित हो पोतसे नीचे उतर महाकाल राजाके पीछे दौड़ पड़े और इस प्रकार पुकार 2 कर कहने लगे-अहो कातर बब्बराधीश! अपराध क-II रके कहां भग जाता है, बलपूर्वक वापिस फिर कर मेरे साथ संग्राम कर ? अगर तू सच्चा क्षत्री हो तो रणक्षेत्रमें आ जा! महाकाल राजा श्रीपालके वचन पर मुसकराकर बोला-अरे! तूं बा. लक है-सुन्दर है-तेरे अकेलेके साथ युद्ध करनेसे लोकमें प्रतिष्ठा नहीं हो सकती, मेरी सेनाका तुझसे अवश्यही चूर्ण हो जायगा यह मैने अच्छी तरह समझ लिया है। अब तूं दूर चला जा! || | इसहीमें तेरा कल्याण है, श्रीपाल कुमार बोले-राजन् ए वचनाडम्बरसे क्या? यदि सुरवीर हो / | तो सामने आजा-इतना कहने पर भी राजा बेदरकारी करके आगे चलने लगा, श्री- 15 | पालजीने विचारा कि कुछ छेड़ किये विना वापिस नहीं फिरेगा, बस शीघही राजाके आगे चलती हुई विजय-ध्वजको बाणसे जमीनदोस्त की, इस वख्त राजाकी सेना बिगड़ी और पीछे // 36 // मुड़कर श्रीपालजीका शरीर बाणोंसे ढक दिया, तलवारे और भालोसे शरीरपर प्रहार करने लगे VP.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradha SE