________________ प्रस्ताव तीसरा. - चरित्र // 34 // श्रीपाल-हैलेकर हमारे साथ चलो, कुंवर बोले, क्या दोगे? शेठने कहा, जहाजोंकी रक्षा करनेके लिये है। मेरे साथ दस हज़ार अजितसुभट हैं उन सबका मूल्य वार्षिक कोटी दीनार है, इस हिसाबसे है। एकका एक हज़ार होता है, तो तुमको दुगुना देंगे, अर्थात् सालियाना दो हज़ार सोनामोहर | | देंगे-श्रीपालजी बोले कि सब सुभटों जितना यदि मुझ अकेलेको दो तो मैं तुमारी जहाजोंकी | रक्षा बराबर कर सकता हूँ, यह सुनकर धवलने सोचा कि इस तरह तो वार्षिक दो कोड़ दीनार | होते हैं, यह तो निभ नहीं सकता-बस खामोस हो गया-इस समय कुमार धवलको कहने / लगे-हे शेठजी ! यदि तुम इसमें राजी न हो तो मैं किराया देकर चलनेको तैयार हूँ कारण MP कि विदेशगमनकी मुझे बड़ी इच्छा है ? सुनकर शेठ बड़ा प्रसन्न हुवा और कहा-अच्छा प्रति- || मास सो दिनार देना, तुम सानन्द नौकामें बैठ जावो-श्रीपालजीने एक महिनेका पेशगी किराया देकर सम्यक् स्थान ग्रहण किया, वहांपर सुखपूर्वक निवास करने लगे. HARLEROSASHARAN RISASIGA SCEGLISHLISTSHAHIS-2234%* // 34 // IAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhali