________________ 5 और दोनो हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगा-हे वीररत्न! कोपाक्रान्त होने पर भी महापुरुष / 5 नमन-नरका तिरस्कार नहीं करते; अतः आप कृपा करके देवस्तम्भित जहाजोंको चला दी- || जियेगा; क्योंकि आप एक समर्थ पुरुष हैं, श्रीपालकुमार बोले यदि तुमारा कार्य सिद्ध करदें तो तुम हमें क्या बदला दो? शेठ बोला एक लाख सुवर्ण-दीनार ! कुंवर सहर्ष स्वीकार कर धवलके | साथ सबसे आगेकी जहाजमें सवार हुवे, सर्व प्रवासक लोग सावधान हुवे; अब श्रीपाल कुंव-5 करने श्रीनवपद महाराजका ध्यानकर बड़े जोरसोरसे (कार-शब्द कियाकी तत्कालही क्षुद्र-देवता || भग गये और सब जहाज चलने लगीं; इस वख्त नाना प्रकारके वाजिंत्र बजने लगे, नृत्तिकाएं P|| ना करने लगीं, चारण लोग विरुदावली बोलने लगे, भजन जय 2 शब्द करने लगे, इस है प्रकार चारों और आनन्दही आनन्द छा गया. धवलशेठ कुमारको सातिशय पुरुष समझ लक्ष दीनार देकर कहने लगा-तुम भी तनख्वाह Jun Gun Aaradhak Ac. Gunratnasuri M.S. .