________________ XSUSSEISLUSASSUOSISANG ki नामसे और न मेरे गुणोंसे किन्तु सुसराके नामसे सब मुझे जानते हैं; यह मुझे बडा खटकता है है; नीतिकारोंने कहा है : ' (श्लोक) ... उत्तमाः स्वगुणैः ख्याताः / पितृख्यातास्तु मध्यमाः // अधमा मातुलख्याताः / श्वसुरैस्त्वधमाऽधमाः // 1 // भावार्थ:-जो प्राणी अपने गुणोंसे जगतमें प्रसिद्ध हों वे उत्तम पुरुष कहे जाते हैं तथा || पिताके नामसे मशहूर हों वे मध्यम, मामाके नामसे ज़ाहिर हों वे अधम तथा सुसराके नामसे है प्रख्यात हों वे अधमाऽधम कहे जाते हैं. हे जननि! इसलिये मेरा इधर ठहरनेका इरादा नहीं, माताने कहा-जो ऐसा हो तो तुम | / सुसरे की सेना लेकर अपना राज्य ग्रहण करो, पुत्र बोले-हे मात! स्वसुरके बल पर राज्य लेना तो न लेनाही उत्तम है क्यों कि लोकापवाद तो ज्योंका त्यों कायम रहे गा, अतः विदेश Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradha