________________ SEKA4% A पूरित एक निवास स्थान सादर अर्पण किया; अब श्रीपालकुमार अपने कुटुम्ब सहित यहां पर सुखपूर्वक निवास करने लगा. ACC S EENOV / प्रजापाल नूपालको सद्धर्मकी प्राप्ति.. . एकदिन प्रजापाल भूपाल श्रीपालके रहनेके मकानके पास होकर हवाखोरी करने जा रहा था , M] उस वख्त मकानके गवाक्षमें देवकुमार सदृश रूपवान् कुंवरके साथ मदनाको बैठी हुइ देख कर | चमका और शंका करने लगा कि " हा-हा! कामवश होकर इस दुष्टा पुत्रीने कुष्टिका त्याग कर | नवीन पति कर लिया है, अरे! पहिली भूल तो मैने की, दूसरी भूल इसने की, बड़ा अयोग्य हुवा इसने हमारा कुल कलङ्कित किया!” दुःख-विशमय राजाको देखकर अवसरज्ञ पुण्यपालने AGA4%A Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhali