________________ 6 वतार-हे कृपासिन्धो-हे त्यक्तसंग-हे जिनेश्वर-हे जगदीश्वर-हे प्रभो! हमें आप नाथका ही शरण है, आप देव-दानव और मनुष्यसे सुसेवित हैं, परम पदके दाता हैं, पूर्णचन्द्र समान केवल|| ज्ञानसे लोका लोकके भाव-विभावको जाननेवाले हैं, हे जगत्पूज्य ! हमें भवोभवमें आपका ही शरण हो, जगदाधार आप ही हैं, हे रोग, शोक विनाशक-हे विश्वम्भर-दे विश्वनाथ-हे सकल | गुण गण वाटिका विकश्वर करनेमें मेघधारा समान-हे विभो! हमारी आधि-व्याधि-उपाधि हर्ता आप ही हो, हे करुणारस भंडार! निज सेवकको निर्मल शिव-सुख देनेवाले एक अधि15 तीय मूर्ति आप ही हो, हे तरण-तारणतरी समान! आपके दर्शनसे हमारे दुष्ट कुष्टादि तमाम मानो आज ही नाश होकर हमें असीम शान्ति प्राप्त हुई; इत्यादि प्रजुकी स्तवना करके मदना विरमित हुई. उम्बरराणाने यह स्तुति भावपूर्वक श्रवण की. इसवख्त शासन देवी चक्रेश्वरीकी प्रेरणासे प्रजुके कण्ठसे पुष्पमाला तथा करकमलसे SCHLOSSESSERIKALI Ac Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aarad be