________________ पूर्वक मगधेश्वरने श्रावण किया, तमाम लोग आनन्दपूर्वक हर्षित हुवे. प्रस्ताव चौथा. परित्र. 93 // परमात्मा महावीर देवका पदार्पण AAAAAAAAASANSAESO ये सब होजानेके बाद एक मङ्गल समाचार सुने कि परमात्मा महावीर देव पधारे, बस श्रे. || णिक आदि सकल लोगोंके हर्षकी सीमा न रही. सब लोग समवसरणमें गये, वहां जाकर प्र. है। जुको नमन कर नवपद महाराजका स्वरूप पूछा, पहिले गौतम स्वामीने कहा था उसही त रह देवाधिदेवने भी फरमाया तदपि इतना विशेष प्रतिपादन किया:-हे नरनाथ! यह नवपदका म- // 93 // हात्म्य तेरे चित्तमें महदाश्चर्य करता है, परन्तु जो कुछ कि तूंने सुना है वह तो अल्पमात्र है सम्पूर्ण तो . || वाणी के अगोचर है-इसका आराधन सकल धर्मरूपी शाखाओंका मूल है, इसके सेवनका मुख्य हेतु MAC.Gunratnasun M.S. Jun Gun Aaradhal