________________ R-C- SARLAGAKARE लगी हुई पुत्तलीके नीचे जाकर खड़े रहे। यहां पर कुब्जके रूपका कुछ वर्णन कर देते हैं:-पीहै ठका भाग जिसका ऊंचा हो रहा है अर्थात् दुम निकल रही है, पेट जिसका पातालमें चल है & गया है, जिसकी नाक चपटी और ऊंटके मुआफिक होठ लम्बे हो रहे हैं, गधेके समान जिसके | फच्चर दान्त और बन्दरके समान बुरे केश हैं, पीलियेके रोगी समान जिसके पीले नेत्र होगये / || हैं, जिसके मुहसे कुत्तेकी तरह लाले टपक रही हैं और पिंजरसा शरीर बना हुवा है; इस प्रकार || ॐ घृणित देहधारी कुबड़ेको लोग पूछते हैं-अहो! तूं यहांपर क्यों आया है ? जबाब मिला तुम सब ||6| 5. क्यों आये हो? उन्होने कहा कन्याके साथ विवाह करनेको ! उसने कहा बस मुझे भी यही |8 | काम है; यह सुनकर सब लोग हड़ 2 हसने लगे और उच्चस्वरसे कहने लगे-अहा! राज क-1) |न्याके योग्य यही वर है! इस तरह दिल्लगियें हो रही हैं। इस वख्त वह राजकन्या उत्तम वस्त्रा | भूषण पहनकर दुग्ध समान उज्ज्वल कमलकी माला हाथमें धारण की हुई पालखीमें आरूढ हो। स्वयम्वर-मण्डपमें संप्राप्त हुई, उस वख्त वह तो कुबड़ेको निज दिव्य-रूपमें देख रही है, C.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak